पंजाब के नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा स्रोत मंत्री श्री अमन अरोड़ा ने उत्तर पूर्वी और पहाड़ी राज्यों की तर्ज़ पर 15 हार्स पावर ( एच. पी.) क्षमता तक के खेती पंपों को सौर ऊर्जा पर करने के लिए केंद्रीय वित्तीय सहायता (सी. एफ. ए.) की माँग की है जिससे राज्य में अधिक से अधिक पंपों को सोलराईज़ (सौर ऊर्जा आधारित) किया जा सके। यह सहायता पी. एम.- कुसुम स्कीम के अंतर्गत दी जाती है।
पंजाब के कैबिनेट मंत्री ने बिजली और नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा संबंधी केंद्रीय मंत्री श्री आर. के. सिंह को लिखे पत्र में राज्य को इस स्कीम के दायरे से बाहर रखने का मुद्दा उठाया है। उन्होंने कहा कि नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय ने 01. 08. 2022 को उत्तर पूर्वी और पहाड़ी राज्यों के किसानों को 15 एच. पी. क्षमता तक के खेती पंपों के लिए सी. एफ. ए. प्रदान करने की व्यवस्था की है जबकि पंजाब में यह सुविधा सिर्फ़ 7.5 एच. पी. तक है।
श्री अमन अरोड़ा ने कहा कि पंजाब का हरित क्रांति में बड़ा और अहम योगदान रहा है, जिस काराण राज्य को देश के अन्न भंडार के तौर पर जाना जाता है। इसलिए केंद्र को पंजाब के किसानों की भी बाज़ू थामनी चाहिए और वह भी इस स्कीम का लाभ लेने के हकदार हैं। उन्होंने बताया कि पंजाब खेती प्रधान राज्य है और राज्य में सिंचाई के लिए लगभग 14 लाख इलेक्ट्रिक मोटरों और तकरीबन 1.50 लाख डीज़ल पंपों का प्रयोग किया जा रहा है।
श्री अमन अरोड़ा ने बताया कि राज्य में ज़्यादातर पंपों की क्षमता 10 एच. पी. से 15 एच. पी. तक है। इन पंपों को सोलराईज़ करने पर बड़ी लागत आयेगी जोकि किसानों की पहुँच से बाहर है। इसलिए इन पंपों को सौर ऊर्जा आधारित करने की लागत को किसानों की पहुँच में लाने के लिए उच्च क्षमता वाले पंपों के लिए सी. एफ. ए. प्रदान करने की ज़रूरत है।
इस पत्र में श्री अमन अरोड़ा ने जिक्र किया है कि नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय पी. एम. – कुसुम स्कीम के कम्पोनेंट-बी और सी के अंतर्गत 7. 5 एच. पी. तक की क्षमता वाले कृषि पंपों की सोलराईज़ेशन के लिए 30 फीसद सी. एफ. ए. प्रदान कर रहा है।
उन्होंने बताया कि नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय की तरफ से पंजाब के लिए कम्पोनेंट- बी के अधीन 50,000 ऑफ ग्रिड पंपों और कम्पोनेंट-सी के अंतर्गत 1.25 लाख बिजली मोटरों को सौर ऊर्जा पर करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। इसलिए पंजाब को 15 एच. पी. क्षमता तक के खेती पंपों के सोलराईज़ेशन के लिए केंद्रीय वित्तीय सहायता दी जानी चाहिए।